ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ लड़ने वाले भारतीय क्रांतिकारी। शिवराम राजगुरु का जन्म 24 अगस्त 1908 को महाराष्ट्र में हुआ था। राजगुरु क्रांतिकारी संगठन हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक आर्मी के सदस्य थे।
राजगुरु (Rajguru) के बारे में कुछ खास बातें
– राजगुरु का जन्म 24 अगस्त, 1908 को पुणे ज़िले के खेड़ा गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री हरि नारायण और उनकी माता का नाम पार्वती बाई था। शहीद राजगुरू का पूरा नाम शिवराम हरि राजगुरू था।
– 6 वर्ष की आयु में पिता का निधन हो जाने से बहुत छोटी उम्र में ही ये विद्याध्ययन करने और संस्कृत सीखने वाराणसी आ गए थे।
– वाराणसी में रहते हुए राजगुरु (Rajguru) का सम्पर्क अनेक क्रान्तिकारियों से हुआ। वह चन्द्रशेखर आजाद से इतने अधिक प्रभावित हुए कि उनकी पार्टी हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी से तत्काल जुड़ गये। यहीं पर उन्हें भगत सिंह का साथ मिला।
– आजाद की पार्टी के अन्दर इन्हें रघुनाथ के छद्म-नाम से जाना जाता था; राजगुरु के नाम से नहीं। पण्डित चन्द्रशेखर आज़ाद, सरदार भगत सिंह और यतीन्द्रनाथ दास आदि क्रान्तिकारी इनके अभिन्न मित्र थे।
– राजगुरु (Rajguru) को लाहौर षडयंत्र कांड और सेंट्रल असेंबली हॉल में बम फेंकने के लिए दोषी पाया गया था। राजगुरू ने 28 सितंबर, 1929 को एक गवर्नर को मारने की कोशिश की थी जिसके अगले दिन उन्हें पुणे से गिरफ्तार कर लिया गया।
– राजगुरु (Rajguru) अव्वल दर्जे के निशानेबाज थे और सांडर्स को मारने में इन्होंने अहम भूमिका अदा की थी। दरअसल, एक प्रदर्शन के दौरान पुलिस की बर्बर पिटाई में लाला लाजपत राय की मौत हो गई थी। जिसके बाद सांडर्स क्रांतिकारियों के निशाने पर आ गया।
– जेल में अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए भगत सिंह और उनके साथियों ने 64 दिन की भूख हड़ताल की थी।
– राजगुरु को भी 23 मार्च, 1931 की शाम सात बजे लाहौर के केंद्रीय कारागार में उनके दोस्तों भगत सिंह और सुखदेव के साथ फांसी पर लटका दिया गया। जनता में बढ़ते रोष को ध्यान में रखते हुए अंग्रेज़ अधिकारियों ने तय समय से 12 घंटे पहले ही फांसी दे दी थी।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे बड़े योद्धाओं में एक थे शिवराम हरि राजगुरु। वे भगत सिंह और सुखदेव के साथ हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम गए।
चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु जैसे क्रांतिकारियों को आतंकी कहकर इतिहास लेखन के साथ धृष्टता की गई है।
साहित्यकारों व शिक्षाविदों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमर योद्धा शिवराम हरि राजगुरु की जयंती की पूर्व संध्या पर रविवार को याद किया।
शिक्षाविद डॉ. शशिकांत झा ने कहा कि राजगुरु संकल्प शक्ति के धनी और बड़े क्रांतिकारी थे।
साहित्यकार डॉ. संजय पंकज ने कहा कि राजगुरु ने चंद्रशेखर आजाद के सानिध्य में भगत सिंह, सुखदेव जैसे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे।
व्यंग्यकार डॉ. सुधांशु कुमार ने कहा कि आजादी की लड़ाई में तीन धाराओं का समान महत्व है। पहली धारा है सुभाषचन्द्र बोस की।
दूसरी धारा चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जैसे क्रांतिकारियों की और तीसरी धारा थी महात्मा गांधी की।
कवयित्री डॉ. इन्दु सिन्हा ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता में राजगुरु का योगदान किसी से कम नहीं।
आलोचक राकेश रंजन ‘त्रिनयन ने कहा कि राजगुरु और उनके साथियों ने अल्पवय में ही जिस क्रांति की चिनगारी सुलगाई, उसी से भांरत आजादी के दिन देख पाया।