नीतीश कुमार को नोबेल प्राइज़ मिलना चाहिए और सुशील मोदी को यूएन का महासचिव बना देना चाहिए

पत्रकार रवीश कुमार का तंज

रवीश कुमार ने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट लिख बिहार सरकार को निशाने पर लिया है। रवीश कुमार का ये फेसबुक पोस्ट राज्य सरकार के नौकरी वाले परीक्षाओं में लापरवाही को लेकर है। रवीश कुमार का ये फेसबुक पोस्ट वायरल हो रहा है।


रवीश कुमार ने लिखा- बिहार में छात्र की परीक्षा नहीं ली जाती है। परीक्षा की परीक्षा ली जाती है। छात्र सिर्फ़ फार्म भर कर छह-छह साल तमाशा देखते हैं। इस नई शिक्षा व्यवस्था के लिए नीतीश कुमार को नोबेल प्राइज़ मिलना चाहिए और सुशील मोदी को संयुक्त राष्ट्र का महासचिव बना देना चाहिए। कमाल का काम किया है दोनों ने। बल्कि दोनों को बिहार से पहले अमरीकी चुनाव में भी विजयी हो जाना चाहिए।

2014 में बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने 13000 लोअर डिविज़न क्लर्क की वेकेंसी निकाली। पेपर लीक हुआ। आयोग के सचिव जेल गए।वह परीक्षा आज भी जारी है। बल्कि 29 नवंबर क होने जा रही है। 25000 छात्र परीक्षा में बैठेंगे। इसी दिन दारोग़ा भर्ती परीक्षा है। छात्र चाहते हैं कि दोनों में से एक की तारीख़ टल जाए। ज़रूर ये तारीख़ इसलिए निकली है कि चुनाव में वोट मिल जाए। मुझे नहीं लगता कि उसके बाद भी यह परीक्षा पूरी होगी।

तभी मैं कहता हूँ कि जिस राज्य के युवाओं को छह साल से एक परीक्षा में उलझा कर रखा जाए उस राज्य के युवाओं से आपको कोई उम्मीद नहीं करनी चाहिए। क्योंकि उनके भीतर उम्मीद की हर संभावना समाप्त हो चुकी होगी। दुख होता है। पर कोई नहीं युवा जाति और धर्म की राजनीति करते रहें। कम से कम उन्हें इसका सुख तो मिल रहा है।

विश्व गुरू भारत के नौजवानों को एक परीक्षा का चक्र पूरा करने में छह साल लग रहे हैं। राम जाने इन छह साल में ये युवा क्या करते होंगे? उन्होंने ये छह साल कैसे बिताए होंगे? इन युवाओं के लिए मोह भी होता है लेकिन क्या कर सकते हैं।

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