सोमवार को हाथरस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में सुनवाई हुई. पीड़िता परिवार ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनकी बेटी का अंतिम संस्कार बिना उनकी मर्जी के कर दिया गया. न्याय की मांग करते हुए परिवार ने कोर्ट से ये भी कहा कि उन्हें पूरी तरह ये भी नहीं पता कि आखिर पुलिस ने किसका अंतिम संस्कार किया है।

सुनवाई के दौरान पीड़िता के परिवार ने हाई कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखते हुए तीन तरह की मांग की. पीड़िता के परिवार ने कोर्ट से कहा कि वह इस मामले को यूपी के बाहर के किसी राज्य में ट्रांसफर करने का आदेश दें. इसके साथ ही उन्होंने अपील करते हुए कहा कि सीबीआई जांच के सभी तथ्य जांच पूरी होने तक पूरी तरह से गोपनीय रखे जाएं. इसके अलावा पीड़ित परिवार ने अनुरोध किया कि जांच की अवधि में परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

वहीं जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने कोर्ट से कहा कि कथित बलात्कार पीड़िता के शव का रात में अंतिम संस्कार करने का फैसला कानून और व्यवस्था बनाए रखने के मद्देनजर किया गया था और ऐसा करने के लिए जिला प्रशासन पर प्रदेश शासन का कोई दबाव नहीं था।
राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए अपर महाधिवक्ता वी.के. साही ने दलील देते हुए कहा कि जिला प्रशासन ने बिल्कुल सही तरीके से काम किया. हालांकि, कोर्ट द्वारा न्याय मित्र नियुक्त किये गये वरिष्ठ अधिवक्ता जे.एन. माथुर ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत सम्मानपूर्वक और अपनी धार्मिक रवायतों के हिसाब से अंतिम संस्कार हर नागरिक का अधिकार है।