कांग्रेस (Congress) की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) अब अपने पद से इस्तीफा दे सकती है।
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक की तैयारी तेज हो गई हैं. यह कई मायनों में अहम होने वाली है. इस बैठक की सबसे खास बता ये है कि पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की मदद के लिए दो उपाध्यक्ष भी नियुक्त किए जा सकते हैं. वहीं इस बैठक में राहुल गांधी के पदभार संभालने के लिए भी कुछ नेता आवाज उठा सकते है।
वहीं सोनिया गांधी ने कहा कि पार्टी को नए अध्यक्ष की तलाश करनी चाहिए. आपको बता दें कि कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर सोनिया गांधी का एक साल पूरा हो चुका है. पार्टी के नेता यहां तक आरोप लगा रहे हैं कि सोनिया गांधी खराब स्वास्थ्य की वजह से किसी को भी मिलने का समय नहीं देती।
तो वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी (Rahul Gandhi) भी पार्टी के नेताओं से बोलते हैं की वो अध्यक्ष नहीं है और मिलने से इंकार कर देते है।
ऐसे में पार्टी में कोई भी फैसले नहीं हो पा रहे हैं. सोमवार को कांग्रेस वर्किंग समिति की अहम बैठक होने वाली है. बैठक से पहले ही पार्टी के अंदर वरिष्ठ और युवा नेताओं की लड़ाई शुरू हो गई है।
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं. कई लीडर्स का मानना है कि पार्टी में सही समय पर फैसला नहीं लिए जाने की वजह से ही मध्यप्रदेश में सरकार गई और सिंधिया जैसे बड़े नेता ने पार्टी छोड़ दी।
कुछ दिनों पहले सोनिया गांधी ने लोकसभा और राज्यसभा सांसदों के साथ बैठक की थी उस दौरान भी टीम राहुल और सोनिया के बीच मतभेद सामने आए थे. बैठक के दौरान ही पार्टी के कई सांसदों ने राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाए जाने की मांग उठाई थी।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि राहुल गांधी जब चाहे अध्यक्ष बन सकते हैं लेकिन वो जिम्मेवारी नहीं लेना चाहते इसलिए उनकी टीम के नेता सीनियर्स पर आरोप लगाते हैं।
कांग्रेस में नहीं थम रहा अंदरूनी विवाद
कांग्रेस में अंदरूनी विवाद थमकर भी नहीं थमा है. अगर कुछ लोग पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की दोबारा इसी पद पर ताजपोशी देखना चाहते हैं, तो कुछ गांधी परिवार से किसी बाहर के शख्स को।
इस बीच कांग्रेस के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब पार्टी के बड़े नेताओं ने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में बड़े बदलाव की मांग की है।
यह मांग कांग्रेस के 23 बड़े नेताओं ने की है. इनमें 5 पूर्व मुख्यमंत्री, शशि थरूर जैसे सांसद, कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य और तमाम पूर्व केंद्रीय मंत्री शामिल हैं. इनका कहना है कि पार्टी में बड़े बदलाव करके कांग्रेस को हो रहे नुकसान से बचाया जाए. यह मांग कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक से ऐन पहले की गई है।
आजादी के बाद देश की सत्ता पर अधिकांश समय तक काबिज रही सियासी पार्टी कांग्रेस ( Congress ) में बड़े बदलाव की मांग जोर पकड़ने लगी हैं। कांग्रेस के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब पार्टी के बड़े नेताओं ने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ( Sonia Gandhi ) को पत्र लिखकर कांग्रेस में बड़े बदलाव करने की मांग की है।
कांग्रेस आलाकमान से यह मांग पार्टी के 23 बड़े व प्रभावी नेताओं ने की है। इनमें 5 पूर्व मुख्यमंत्री, कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य और तमाम पूर्व केंद्रीय मंत्री शामिल हैं। इनका कहना है कि पार्टी में बड़े बदलाव कर कांग्रेस को हो रहे नुकसान से बचाया जाए।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के नेताओं की ओर से जारी इस पत्र में यह स्वीकार किया गया है कि युवाओं ने निर्णायक रूप से नरेंद्र मोदी ( Narendra Modi ) को वोट दिया है। पत्र में इस बात का भी जिक्र है कि कांग्रेस का बड़े पैमाने पर समर्थन घटा है। युवाओं का विश्वास खोना गंभीर चिंता का विषय है।
जानकारी के मुताबिक यह पत्र करीब 15 दिनों पहले भेजा गया था। पत्र के जरिए बड़े नेताओं ने स्थायित्व व प्रभावी नेतृत्व देने वाले बदलाव लाने की मांग की है। एक ऐसे बदलाव की मांग इन नेताओं की ओर से जारी पत्र में शामिल है जिसका असर सियासी जमीन पर दिखे। पत्र में पार्टी के जनाधार को फिर से हालिस करने के लिए सामूहिक नेतृत्व तंत्र तत्काल विकसित करने पर जोर दिया गया है।
इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, पार्टी के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, शशि थरूर, सांसद विवेक तन्खा, मुकुल वासनिक और जितिन प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री शामिल हैं।
इसके अलावा भूपिंदर सिंह हुड्डा, राजेंदर कौर भट्टल, एम वीरप्पा मोइली, पृथ्वीराज भवन, पीजे कुरियन, अजय सिंह, रेणुका चौधरी, मिलिंद देवड़ा पूर्व पीसीसी प्रमुख राज बब्बर, अरविंदर सिंह लवली, कौल सिंह ठाकुर, बिहार अभियान प्रमुख अखिलेश प्रसाद सिंह, हरियाणा के पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा, दिल्ली के पूर्व स्पीकर योगानंद शास्त्री और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने भी इसमें हस्ताक्षर किए हैंं।
बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 ( Lok Sabha Election 2019 ) में पार्टी की करारी हार के एक साल बाद भी पार्टी ने लगातार गिरावट के कारणों का पता लगाने के लिए कोई आत्मनिरीक्षण नहीं किया है। पत्र के जवाब के रूप में एक प्रमुख संगठनात्मक फेरबदल ( Organizational Change ) की योजना बनाई जा रही है। सोमवार को होने वाली सीडब्लूसी की बैठक में संगठनात्मक फेरबदल को लेकर ही घोषणा होने की उम्मीद है।